काल भैरव उज्जैन: रहस्य, श्रद्धा और शक्ति का संगम
काल भैरव मंदिर, उज्जैन, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बाद शहर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के उग्र स्वरूप, काल भैरव को समर्पित है, जो समय और मृत्यु के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। यहां भैरव को शराब अर्पित करने की परंपरा इसे विशेष और रहस्यमयी बनाती है। इस ब्लॉग में हम काल भैरव मंदिर की पौराणिक कथा, महत्व, वास्तुकला, और यहां के अनोखे रीति-रिवाजों के बारे में जानेंगे।
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उज्जैन, जिसे प्राचीन समय में अवंतिका और उज्जयिनी के नाम से जाना जाता था, भारत का एक पवित्र नगर है। यहां के काल भैरव मंदिर का विशेष महत्व है। काल भैरव, जो भगवान शिव का उग्र और रौद्र रूप माने जाते हैं, समय के स्वामी और संरक्षक हैं।
पौराणिक कथा (Mythological Significance)
मान्यता है कि काल भैरव की पूजा स्वयं भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने की थी। शिव पुराण के अनुसार, जब ब्रह्माजी ने अहंकारवश शिव का अपमान किया, तो शिव ने अपने रौद्र रूप, काल भैरव को प्रकट किया। उन्होंने ब्रह्मा के पांचवें सिर को काट दिया, और तब से उन्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए उज्जैन में निवास करना पड़ा। इस मंदिर को उसी घटना का स्मारक माना जाता है।
मंदिर की विशेषता (Unique Features)
इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां भगवान काल भैरव को शराब का भोग लगाया जाता है। भक्तों का मानना है कि काल भैरव भोग स्वरूप शराब को स्वीकार करते हैं। पुजारी शराब को चम्मच से मूर्ति के मुख के पास ले जाते हैं, और देखते ही देखते शराब गायब हो जाती है।
वास्तुकला (Architecture)
काल भैरव मंदिर की स्थापत्य कला मालवा शैली का अद्भुत उदाहरण है। मंदिर का शिखर आकर्षक और बलशाली दिखता है, और मुख्य गर्भगृह में काल भैरव की मूर्ति विराजमान है। मूर्ति में भगवान का उग्र रूप दर्शाया गया है, जिसमें उनके हाथों में त्रिशूल और डमरू हैं।
महत्व और आस्था (Devotion and Significance)
काल भैरव को न्याय और अनुशासन के देवता माना जाता है। उज्जैन के ज्योतिष और तंत्र शास्त्र में उनका विशेष स्थान है। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और शराब, नारियल, और लाल कपड़ा चढ़ाते हैं।
यात्रा के टिप्स (Travel Tips)
- स्थान: काल भैरव मंदिर, उज्जैन, महाकाल मंदिर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर।
- समय: मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है।
- शुभ दिन: कालाष्टमी और शनिवार को विशेष पूजा होती है।
- कैसे पहुंचे: उज्जैन रेलवे स्टेशन से आसानी से टैक्सी या ऑटो के जरिए पहुंच सकते हैं।
अनुभव (Personal Experience)
मंदिर का वातावरण अत्यंत आध्यात्मिक और रहस्यमयी है। जब भक्त "जय काल भैरव" के नारे लगाते हैं, तो पूरी जगह भगवान की ऊर्जा से भर जाती है।
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